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28 Nov 2020 · 1 min read

काश

काश
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काश वो दिन
लौट आते,
लोगों के मन में बस चुके
नफरत के भाव,
हिंसा, वैमनस्य, दहशत
डर के एहसास भी मिट जाते।
भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार
बहन बेटियों के साथ हो रहे दुराचार के
डर न रह जाते।
भाईचारे, एकता और विश्वास के भाव
काश फिर पहले की तरह हो पाते,
काश! बीते दिन वापस आ जाते।
✍ सुधीर श्रीवास्तव

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