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27 Nov 2020 · 1 min read

महामारी

महामारी महामारी
कुचल रही इंसानियत को
लालच-स्वार्थ महामारी

भूखी आधी दुनिया है
प्यासी आधी दुनिया है
पानी भोजन के बदले
होठों पर खुशियों के बदले
हथियारों की खरीदारी ।

चीर रहे
पृथ्वी का सीना
बना लिए देश-प्रदेश
हथियार खड़े किए
सीमा पर
लगा रहे लाशों के ढेर ।

बायो बम का बीज वो रहे
धरके साधू का भेष
कैद किया है लोगों को
खत्म किया है आजादी को
लगा रहे परमाणु बमों का ढेर ।

घमंड उग रहा देशो में
राष्ट्रशक्ति की जयजयकार
गैंग बनाने घूम रहे
आतंकी बम फैंक रहे
कूटनीति की कालाबाजारी ।

एक ही मानव
एक मानव सभ्यता
एक ही पृथ्वी
एक जमीन
फिर दुश्मनी कैसे हितकारी.?

विकास करो हर मनुष्य का
चाहे हो
किसी भी देश प्रदेश का
भर दो सभी का पेट
खाली करके अपने खेत
यही मावन की समझदारी ।

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