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24 Nov 2020 · 1 min read

-- भेद भाव --

कौन कहता है की भेद भाव नही होता
मैंने जमाने में लोगों को चेहरा बदलते देखा है

सामने से आकर कुछ कह जाता है चेहरा
फिर मैने उस पर नकाब पहनते देखा है

चाहे रहूँ किसी भी समाज के भीतर
मैने तो वहां अपनापन नही देखा है

बहका देती है यह दुनिया सच्चे इंसान को
मैंने झूठों को इनाम ही लेते देखा है

लाख कोई सच को नकार दिया करे सब के सामने
पर सच है झूठ पर नोटों की बरसात होते देखा है

कहते थे की अंग्रेज किया करते थे भेदभाव की राजनीति
मैने भारत में रह रहे अंग्रेजों को यह सब करते हुए देखा है

लांछन लगाना बहुत ही आसान होता है
खुद पर लग जाए तो बर्दाशत होते किस किस ने देखा है ??

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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