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19 Nov 2020 · 2 min read

जिहादी आतंक का दंश

पिछले तीन दशक से देश, आतंक का दंश झेल रहा है
संसद बाजार मंदिर स्कूल कॉलेज काफिर, जिहादी आतंक का शिकार रहा है
क्या है जिहादी आतंक? क्या है जिहाद? कौन है काफिर? आमजन अब तक अनभिज्ञ रहा है
उनकी नजर में काफिर है वह, जो इस्लाम को नहीं मान रहा है
जिहाद एक वैचारिक शैक्षिक आतंक है, जो काफिरों के विरुद्ध चल रहा है
जिहाद सीमाओं पर नहीं, बल्कि समाज के अंदर चल रहा है
जिहादी रहते समाज के बीच ही हैं, पर समाज पहचान नहीं रहा है?
मुस्लिम ब्रदरहुड मिथ्या प्रचार का व्यवस्थित तंत्र चला रहा है?
अलगाव हिंसा द़ेष के बीज बो रहा है
तथा कथित बुद्धिजीवी मीडिया से, अपने एजेंडे चला रहा है
अभिव्यक्ति के नाम पर,साम्यबादी एजेंडा चल रहा है
देश में ये सब क्या चल रहा है?
सरकारें बुद्धिजीवी मीडिया, सबको बरगला रहा है
पूरी दुनिया में जिहादी प्रशिक्षण व्यवस्थित चल रहा है
काफिर से लड़ने का हथियारबंद प्रशिक्षण चल रहा है
पर आतंक से सबसे अधिक पीड़ित देश जिहाद क्या है?
काफिर जिहाद से कैसे बचें? कैसे मुकाबला करें?
देश आमजन को शिक्षित नहीं कर पा रहा है?
वैचारिक शैक्षिक सामाजिक लव धर्म जाति और ना जाने क्या-क्या जिहाद चल रहा है?
सीरिया पाकिस्तान अफगानिस्तान अलकायदा हक्कानी देवबंदी मदरसा और जाने कहां कहां बाकायदा काफिरों को मिटाने का यत्न चल रहा है?
देश जागरूकता डिफेंस का पाठ क्यों नहीं पढ़ा रहा है?
जिहाद दुनिया में सरेआम चल रहा है मुस्लिम नेता इस्लाम को बदनाम करने की बात कर रहा है?
जिहाद पर मौन साध रहा है?
क्या काफिरों (इस्लाम को ना मानने वाले) को जिहाद के बारे में जागरूक नहीं किया जाना चाहिए?
क्या जिहाद से डिफेंस को तैयार नहीं होना चाहिए?
क्या दुनिया को जिहादी आतंक के खिलाफ एकजुट नहीं होना चाहिए?
देश ही नहीं दुनिया के नागरिकों को, सरकारों को सोचना चाहिए?
जिहादी आतंक के खिलाफ एकजुट हो तैयार रहना चाहिए?
क्या देश दुनिया को जागरूक नहीं किया जाना चाहिए?

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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