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12 Nov 2020 · 1 min read

मुश्किलों से सदा टकराकर चलते रहे

ज़िन्दगी का बोझ उठाकर चलते रहे
मुश्किलों से सदा टकराकर चलते रहे

कदम दर कदम ठोकरें कम होती गईं
हम सफर में ठोकरें खाकर चलते रहे

तक़दीर से कभी कोई शिकवा नहीं किया
ग़म मिले या खुशी मुस्कुराकर चलते रहे

यूं तो बेहद दुश्वार थे मंज़िल के रास्ते “अर्श”
दिल में उम्मीद के चिराग़ जलाकर चलते रहे

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