Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Nov 2020 · 2 min read

परछाई

आज मन्नू माँ के देहांत के बाद पहली बार घर आई थी। माँ को गये तीन महीने से ऊपर हो गये थे। घर में सब कुछ पहले जैसा था । सब समान भी अपनी जगह पर था । मन्नू को लगा अभी माँ आयेंगी और उसे गले लगाकर कहेंगी,’ लाडो, कमजोर लग रही है। तबियत तो ठीक है ना ‘। घर में सब थे बस माँ ही नही दिखी । हर कोने में उनकी ही परछाई नज़र आ रही थी ।
तभी दो बाँहों ने उसे कसके जकड़ लिया’जिज्जी इतने दोनों बाद आई हो। ठीक तो हो ना।’ मन्नू भी भाभी से लिपट गई।’ हाँ भाभी ठीक हूँ। घर में सब कैसे हैं।’
भाभी हाथ पकड़कर माँ के कमरे में ले गई। सामने दीवार पर माँ की बड़ी तस्वीर लगी थी। देखकर मन्नू की आँखें भर आईं। पलंग पर पापा लेटे थे। उन्हें देखकर मन्नू उनके गले लग गई, ये क्या पापा इतने कमजोर कैसे हो गये।, भाभी बोली, ‘ जिज्जी क्या करें, कुछ खाते ही नहीं । बस अम्मा की तस्वीर से बातें करते रहते हैं ।’
मन्नू देख रही थी ,पापा अचानक कितने बूढ़े लगने लगे थे ।जब माँ ज़िंदा थी तो उन्हें कभी वक़्त ही नहीं था माँ के पास बैठने का ।और अब उनका कहीं जाने का मन ही नही करता था । बैठे2 बस दीवारें घूरते रहते हैं जैसे माँ को ढूंढ रहे हों ।

भाई को अचानक ज्यादा जिम्मेदार और भाभी को मुखर होते हुए देख रही थी मन्नू । घर की सारी जिम्मेदारी भाभी पर जो आ गई थी । पहले जो काम माँ से पूछ कर होते थे वो भाभी से पूछ कर होने लगे थे । माँ की तरह पल्लू में चाबी का गुच्छा बांधे पूरे घर को कुशलता से चला रही थीं।
मन्नू जितने दिन भी रही गुमसुम सी दीवारों ,अलमारियों, खिड़कियों , कपड़ों ,कोनों ,किताबों सबमे माँ को ही तलाशती रही ।
आज उसे वापस जाना था । रोहित लेने आये थे । उनका स्वागत भाभी ने वैसे ही किया जैसे माँ करती थी । लौटते वक्त विदाई भी ठीक उसी तरह । आंखें भर आईं मन्नू की जब भाभी ने गले लगाकर कहा ‘जिज्जी जल्दी आना मैं राह देखूंगी’ तो लगा उनके पीछे एक परछाई सी खड़ी है । अरे ये तो माँ हैं । फूट-फूटकर रो पड़ी मन्नू और बोली ‘हाँ!हाँ! भाभी माँ, जल्दी ही आऊंगी.’ और गाड़ी में बैठ गई। और उधर भाभी भी नम आँखों से सोच रही थी आज जिज्जी ने मुझे भाभी माँ क्यों कहा ???

08-11-2017
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 564 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

भारत देश महान है।
भारत देश महान है।
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
1 *मेरे दिल की जुबां, मेरी कलम से*
1 *मेरे दिल की जुबां, मेरी कलम से*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
बचपन बनाम पचपन
बचपन बनाम पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दुःखों के साथ भी ठीक ऐसा ही होता है। जितना आप दुःखों से भागन
दुःखों के साथ भी ठीक ऐसा ही होता है। जितना आप दुःखों से भागन
ललकार भारद्वाज
Sometimes…
Sometimes…
पूर्वार्थ
अकेले हैं ज़माने में।
अकेले हैं ज़माने में।
लक्ष्मी सिंह
गलतियां
गलतियां
Nitin Kulkarni
जहां कभी प्राण-वायु मिला करती थी, वहां दम घुटने का आभास भी ह
जहां कभी प्राण-वायु मिला करती थी, वहां दम घुटने का आभास भी ह
*प्रणय प्रभात*
कर्मफल का सिद्धांत
कर्मफल का सिद्धांत
मनोज कर्ण
पहली बार का मिलन
पहली बार का मिलन
SURYA PRAKASH SHARMA
जब पलटते हैं वक़्त के पन्ने ।
जब पलटते हैं वक़्त के पन्ने ।
Dr fauzia Naseem shad
*बुज़ुर्गों ने कहा है*
*बुज़ुर्गों ने कहा है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
भटकते फिर रहे थे हम खुशी अब हाथ आई है
भटकते फिर रहे थे हम खुशी अब हाथ आई है
Dr Archana Gupta
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
गर्दिशों में जब तारे तुमसे सवाल करें?
manjula chauhan
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -195 के श्रेष्ठ दोहे
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -195 के श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ठंड को भी लग रही आजकल बहुत ठंड
ठंड को भी लग रही आजकल बहुत ठंड
Ram Krishan Rastogi
तीन सौ वर्ष की आयु : आश्चर्यजनक किंतु सत्य
तीन सौ वर्ष की आयु : आश्चर्यजनक किंतु सत्य
Ravi Prakash
बस उसके लिए ही जिंदा हूं
बस उसके लिए ही जिंदा हूं
शिव प्रताप लोधी
संत हृदय से मिले हो कभी
संत हृदय से मिले हो कभी
©️ दामिनी नारायण सिंह
"वाह नारी तेरी जात"
Dr. Kishan tandon kranti
हनुमानजी जन्म उत्सव की मंगल कामनाएं
हनुमानजी जन्म उत्सव की मंगल कामनाएं
जगदीश लववंशी
तुम हो एक आवाज़
तुम हो एक आवाज़
Atul "Krishn"
दोहा
दोहा
Shriyansh Gupta
खुद्दारी
खुद्दारी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
नाम बहुत हैं फ़ेहरिस्त में नाम बदल सकता हूँ मैं,
नाम बहुत हैं फ़ेहरिस्त में नाम बदल सकता हूँ मैं,
दीपक श्रीवास्तव
आँचल की छाँह🙏
आँचल की छाँह🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सबकी अपनी जरूरतें है
सबकी अपनी जरूरतें है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जिंदगी के रंग
जिंदगी के रंग
Kirtika Namdev
मैं  तेरी  पनाहों   में  क़ज़ा  ढूंड  रही   हूँ ,
मैं तेरी पनाहों में क़ज़ा ढूंड रही हूँ ,
Neelofar Khan
अकेली रही जिन्दगी
अकेली रही जिन्दगी
surenderpal vaidya
Loading...