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1 Nov 2020 · 1 min read

मुक्तक

चल दिए तुम अभी राज बांकी हैं सब
दो दिलों की अभी बात बांकी है सब
फेर के तुम नजर जा रहीं क्यों सनम
जिन्दगी का अभी साथ बांकी है सब

यूँ निगाहें मिलाने से क्या फायदा
इस तरह आशिकी से है क्या फायदा
पास आके सनम तुम लगालो गले
रोज दूरी बढ़ाने से क्या फायदा

कुछ किया ही नहीं जिंदगी के लिए
मैं तो जीता रहा बस उसी के लिए
हमने’ यूँ ही गवां दी जवानी मगर
भाग्य को कोसते हर कमी के लिए

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