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24 Oct 2020 · 1 min read

रक्तबीज

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आज मेरी पत्नी बहुत परेशान थी।इन दिनों अखबारों में महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं की खबरों नें उसे डरा दिया है,तभी तो वह बेटी को स्कूल भेजने को अब तैयार नहीं है।
मैनें उसे लाख समझाया पर वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी।
उसके इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था कि रक्त बीज की तरह पैदा हो रहे इन दरिंदों से कोई अपनी बहन बेटी को कैसे बचाये?
आखिर वो एक माँ होने के साथ साथ एक औरत भी है।इसलिए उसके पास उस डर को महसूस करने का भाव हम मर्दों से कहीं अधिक है।
उसका डर जायज है और तर्क संगत भी।परंतु घर में बेटी को कैद कर उसका भविष्य भी तो बरबाद नहीं किया जा सकता।
अंततः किसी तरह समझा बुझाकर मैनें आत्म रक्षा के लिए पत्नी और बेटी दोनों को कराटे का प्रशिक्षण दिलाने का आज से ही फैसला कर लिया।
अब उसे थोड़ा सूकून का अहसास हो रहा था।शायद रक्तबीजों से उसका डर कुछ कम हुआ था।
✍ सुधीर श्रीवास्तव

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