Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Oct 2020 · 1 min read

कविता : माँ दुर्गा

क्यों न होगा दूर तम ,माँ को याद करके देखिये
भावनाओं के भवन से भय भगाकर देखिये
ज़िंदगी खुशियों से भरी नज़र आयेगी
जागती ज़िन्दादिली से ,माँ को हृदय में बसाकर तो देखिये ||
माँ की भक्ति से जिंदगी जाफरानी लगे
पूस की धूप जैसी सुहानी लगे
माँ की कृपा है दवा ज़िन्दगी के लिये
आशीष अपरिमित माँ का ,पाकर तो देखिये ||
जीवन में जब दुःख सताने लगे
चहुँ ओर अंधेरा नजर आने लगे
उम्मीदों के दिये जब बुझने लगें
बर्बाद ख्वाबों का शहर जब दिखने लगे
माँ की भक्ति है शक्ति ,तब हौसलों के लिये
गीत माँ की भक्ति का ,गुनगुनाकर तो देखिये ||
जी रहे हैं सभी सुख शान्ति के लिये
पी रहे हैं गरल समृद्धि के लिये
ज़िंदगी खुशियों से भर जायेगी
दरबार माँ के जाकर तो देखिये ||
जब आप अपनों से धोखा खाने लगें
लुटा वफ़ा जख्म हज़ार पाने लगें
जगमगाते दीप प्यार ,स्नेह के बुझने लगें
अमन चैन चाह की हवा सब भगने लगे
माँ की कृपा है किरण ,तब ज़िन्दगी के लिये
‘प्रभात ‘ दीपक माँ के नाम का जलाकर तो देखिये
ज़िंदगी खुशियों से भरी नजर आयेगी
जागती ज़िन्दादिली से ,माँ को हृदय में बसाकर तो देखिये ||

Loading...