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16 Oct 2020 · 1 min read

रक्तदान

मित्रों सादर समर्पित है मुक्तक।

चढ़ा वो खून है पानी अगर इसमें सियासत है ।
बहा दो खून नाली में अगर इसमें शिकायत है।
क्यों जीता शान से डोनर जो करता है नशाखोरी।
करेगा राज का इकरार गर उसमें मोहब्बत है।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम”

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