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16 Oct 2020 · 1 min read

आप तैयार हैं जब साथ में चलने के लिए

आप तैयार हैं जब साथ में चलने के लिए
ये शुरूआत है किस्मत के बदलने के लिए

दर्द की दास्तां सुनकर के बहुत रोया वो
आज मज़बूर है पत्थर वो पिघलने के लिए

हिज्र का दिन भी गुज़रता है बड़ी मुश्क़िल से
शामे-ग़म भी तो चली आई है ढलने के लिए

ये जवाँ उम्र के किस्से भी ग़ज़ब होते हैं
उम्र का दौर ये होता है मचलने के लिए

ये तग़ाफुल की नज़र और ज़ुबाँ से हमला
कर दिया आपने मज़बूर बदलने के लिए

वक़्त ‘आनन्द’ बुरा साथ में लाया मुश्किल
है न मौक़ा भी तो इस बार संभलने के लिए

-डॉ आनन्द किशोर

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