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13 Oct 2020 · 1 min read

**मां-- बाप से बड़कर कोई नहीं**

बेटे बेटी समझ ले सारे, मां बाप से बड़के कोई नहीं।
पाला पोसा गोद में जिसने, मां वह कई दिनों तक सोई नहीं।
खून पसीना एक किया था, पापा ने खूब पढ़ाया था।
रहना पड़ा चाहे भूखा उनको ,तुमको फिर भी खिलाया था।
सपने उनके तोड़ रहे क्यों ,आंख तुम्हारी रोई नहीं।
पाला पोसा गोद में जिसने, मां वह कई दिनों तक सोई नहीं ।।

वृद्धावस्था आई उनको, तुमने उनको छोड़ दिया।
जोश जवानी में भर के क्यों, अपना रस्ता मोड़ लिया।
भटक
रहे हैं यहां वहां वे, तुम चैन की नींद में सोने लगे।
किस किसको बताएं दर्द वेअपना, दर-दर जाकर रोने लगे ।
बेटे बेटी हो तुम उनके ,ऐसे तो बनो कसाई नहीं ।
पाला पोसा गोद में जिसने, मां वह कई दिनों तक सोई नहीं।

गीत मेरा यह उनके लिए जो, व्यवहार ऐसा ही करते हैं।
आएगा बुढ़ापा खुद पर भी, फिर काहे को ना डरते हैं ।
देख रही है भावी पीढ़ी,आफत तुम पर भी आएगी।
गुजर जाएगा वक़्त तभी क्या, समझ आप में आएगी।
अनुनय जानो उन्हें संभालो, इससे बड़ी कमाई नहीं।
पाला पोसा गोद में जिसने, मां वह कई दिनों तक सोई नहीं।।
राजेश व्यास अनुनय

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