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12 Oct 2020 · 1 min read

अगर इश्क़ के ये सितारे न होंगे

अगर इश्क़ के ये सितारे न होंगे
जहाँ में मुहब्बत के मारे न होंगे

वफ़ा का तराना वो लम्हा ख़ुशी का
हमें क्या पता था हमारे न होंगे

रहेंगे बगल झांकते ही हमेशा
अगरचे तुम्हारे इशारे न होंगे

नदी ख़ुद भी कैसे बचेगी भला फिर
नदी के अगर दो किनारे न होंगे

मदद एक-दूजे की मिलकर करें सब
न लाचार होंगे बिचारे न होंगे

बढ़ेगी सदा फिर तो दुश्मन की हिम्मत
अगर सरहदो पर दुलारे न होंगे

बहुत देर से रास्ते में खड़े हैं
चले कैसे जाते पुकारे न होंगे

कोई भी जगह है न दुनिया में ऐसी
जहां वक़्त के बहते धारे न होंगे

न आनन्द होंगे रहेंगी न ख़ुशियाँ
अगर आप जैसे सहारे न होंगे

– डॉ आनन्द किशोर

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