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11 Oct 2020 · 1 min read

गर पेट में कोई भी निवाला न जाएगा

गर पेट में कोई भी निवाला न जाएगा
सर पर कोई भी बोझ उठाया न जाएगा

जो रहनुमा हैं देश के उनको बदल भी दो
वर्ना कभी ये मुल्क बचाया न जाएगा

आवाज़ मुफ़लिसों की दबाते रहे हैं जो
ऐसो के सर पे ताज़ सजाया न जाएगा

कोई नहीं ग़ुलाम हैं आज़ाद लोग सब
आज़ाद फिर ग़ुलाम बनाया न जाएगा

मुश्किल के वक़्त पीठ दिखाकर के हंस पड़े
ऐसा पड़ोसी पास बसाया न जाएगा

मेरा वतन है जान मेरी आन – बान है
जब तक है साँस दिल से भुलाया न जाएगा

सदियों से होता आया है सदियों रहेगा ये
कैसे कहें जो आया बुलाया न जाएगा

‘आनन्द’ ये सवाल सदा पूछता रहे
बोलो मेरे बग़ैर रहा क्या न जाएगा

स्वरचित
डॉ आनन्द किशोर

2 Likes · 1 Comment · 234 Views
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