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10 Oct 2020 · 1 min read

कुछ न थी हमको ख़बर वो आ गये

कुछ न थी हमको ख़बर वो आ गये
प्यार देकर ज़िन्दगी महका गये

ये कभी सोचा नहीं था जो हुआ
सच में वो तो ज़िन्दगी पर छा गये

उनसे पहले ज़िन्दगी थी बेसुकूँ
रंजोग़म सारे वही अपना गये

बाद में उड़ते भला क्या जाल था
वो परिन्दे आबो-दाना खा गये
.
दिल में जो तूफ़ान था वो थम गया
जब हमें वो ही मनाने आ गये

हम जो टूटे ज़िन्दगी बिखरी रही
छोड़कर जाने हमें वो क्या गये

दिन में राहों का लिया है जायज़ा
शाम को अपने ठिकाने आ गये

खेल तो खेला बहुत की साज़िशें
ख़ुद निकल भागे हमें बहका गये

जो शजर ‘आनन्द’ सूखा सा पड़ा
जब फ़िज़ा आई तो पत्ते आ गये

– डॉ आनन्द किशोर

3 Likes · 236 Views
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