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10 Oct 2020 · 1 min read

मनोभाव मचले मचले

**मनोभाव मचले मचले**
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फूल बाग में महके महके
उसाँस भी हैं बहके बहके

जल रही है काया यहाँ पर
अंग प्रत्यंग दहके दहके

मचल रहा है मृदुल हृदय
श्वास कंठ में अटके अटके

जल रहा बदन प्रेम अग्न में
मनोभाव भी मचले मचले

स्नेह सीने पर वज्राघात
प्रेम भाव भी भड़के भड़के

श्वेत तुहिन सा सच्चा प्रेम हैं
अंतकरण भी चहके चहके

मदहोश हूँ , न होशोहवास
मन आँसू से भीगे भीगे

प्रेम रंग का देखिए असर
रहें नींद में भी जगे जगे

नवयौवन से तन भरा भरा
अरमान पुष्प से खिले खिले

प्रीयतम से कब होगा मिलन
पग पथ भ्रष्ट हो, रुके रुके
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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