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9 Oct 2020 · 1 min read

साहब कांसीराम

विनोद सिल्ला की कुंडलियां

साहब कांसीराम थे , हम सबके महबूब|
सोच बड़ी लेकर चले , मिशन चलाया खूब||
मिशन चलाया खूब, जगाया था बहुजन को|
सरकारी पद त्याग , बनाया था संगठन को||
कह ”सिल्ला” कविराय, त्यागा चैनो आराम|
बिशन कौर के लाल , थे साहब कांसीराम||

-विनोद सिल्ला©

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