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8 Oct 2020 · 1 min read

कल्पना

मिन्नतो के बाद
रूखसत होने से पहले
मुझसे रूबरू होगी इक दिन
रूह मेरी ।

साल दर साल
हंसते खेलते उसी के
साथ साथ गुजरी है सारी
जिन्दगी मेरी ।

हक है मेरा
उसे जान लेने का
जिसने लिखी है इक अलग
कहानी मेरी ।

हर पल महसूस किया है
जिसे अपने ही भीतर
प्रत्यक्ष होगी इक दिन वो
कल्पना मेरी ।।

राज विग 08.10.2020

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