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6 Oct 2020 · 1 min read

सभी से वो जुदा था याद होगा

सभी से वो जुदा था याद होगा
अजब सा सिरफिरा था याद होगा

बड़ा इक हादसा था याद होगा
मगर वो बच गया था याद होगा

चमक थी उसकी आंखों में ग़ज़ब की
मुहब्बत से मिला था याद होगा

उसे ग़म था बिछड़ने का सभी से
अकेला रो रहा था याद होगा

वही ग़म वक़्त फ़िर से दे रहा है
मुक़द्दर ने दिया था याद होगा

मिले थे हम वहां पर उस किनारे
शुरू में जो हुआ था याद होगा

वही तो लग रहा था सबसे आगे
वो पहले से खड़ा था याद होगा

पिये थे ख़ूब सारी रात में वो
सवेरे, क्या किया था याद होगा

झुका सर चूमता था वो ज़मीं को
वही ‘आनन्द’ सा था याद होगा

– डॉ आनन्द किशोर

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