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2 Oct 2020 · 1 min read

मेरा मन

मेरा मन
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मेरा मन बड़ा चंचल है
ये बस चलता ही रहता है
एक जगह स्थिर नहीं होता
हर समय सोचता रहता है
कभी अच्छा ,कभी बुरा
कभी उम्मीदों का
पहाड़ खड़ा करता है,
तो कभी भय ,अनिष्टता का
तूफान ला देता है।
कभी विचलित करता है
तो कभी संभावनाओं का
विचार पैदा करता है,
कभी हार की आशंका
तो कभी जीत का विश्वास देता है।
बस चलता ही रहता है,
अनवरत,अविराम।
मेरा मन भटकता स्वयं है
मगर उलझन में मुझे डाल देता है,
कभी पास होता है
तो कभी दूर
उम्मीदों के विपरीत
चलता ही रहता है,
कभी कभी तो एकदम
बेकाबू हो जाता है,
जैसे मुझे अपनी ऊंगली पर नचाता है,
मेरा मन
बस!मुझको हर पल
नचाता ही रहता है।
★ सुधीर श्रीवास्तव

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