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30 Sep 2020 · 2 min read

तुम अपनी इज्जत-ऐ-शान लिखो... !!

कुछ पल मे ज़िन्दगी देखी है, हलचल मुश्किलों की देखी है,
कुछ पाने की तमन्ना थी, कुछ बनने की ख्वाहिश थी,
कुछ ऐसे भी अरमान थे जिनसे बदलनी पहचान थी !!

मुकम्मिल जहां की उम्मीदों पे, रौंध गए अपनों की चाहत,
हमने कई मुक़दमे देखे,…देखे किस्मत के फैसले,
कुछ लफ्ज़ो के सौदागर भी देखे,
कुछ नज़र -ऐ -छुपेरुस्तम भी देखे,
ख़ामोशी का नकाब पहने, दिलों के बेपरवाह भी देखे,
मिले न जाने कितने ही, पर… अपनों से न कोई मिले,

अपने हरदम कुछ कहते है…
हम ना सुन सके, ना समझ सके,
कुछ कर लो तुम, थोड़ा बढ़ लो तुम,
इस दुनिया के सरकश का… ना यूँ मज़ाक बनो तुम,
गर बन ना सके दुनिया का हिस्सा, तो खुद अपनी पहचान बनो तुम…!

अपने खुद अरमान चुनो तुम, उनका ही आगाज करो तुम,
अपनी काबिलियत के दम पर,
अपने हौसलों मे उड़ान भरो तुम,
आज सुनती है, ना कल सुनेगी दुनिया,
तुम से ना कोई उम्मीद करेंगी दुनिया,
दिल की स्याही से तुम अपनी, नयी उमंग के लफ्ज़ लिखो,
अपनी ललकती सोच पर, जिंदगी की दिलखुश शाम लिखो,
छाप दो अलबेले सपनो को, सौगातो को पिरो के रख दो,
खां -म -खां ना पूछेंगे लोग सबब,
अपने पंखो को जान दो और पूरा आसमान लिखो !

मोड़ दो सारे रास्तों को जो जाते है बर्बादी की ओर,
आशियाँ बनाओ उन मंजिलों को, जो ले जाते है सुकून की ओर….
खुद अपने जहां का नाम लिखो,
सम्मान लिखो, अभिमान लिखो,
लिखते ही रहो अपने मन की,
तुम अपनी इज्जत -ऐ -शान लिखो !!
❤Love Ravi❤

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