हम उनके प्यार को दिल में बसा के देखेंगे
हुए जो हम पे सितम सब भुला के देखेंगे
हम उनके प्यार को दिल में बसा के देखेंगे
ये और बात है कुछ लोग चाहते ही नहीं
हरेक शख़्स से हम तो निभा के देखेंगे
किये उन्होने हैं वादे तमाम आने के
उन्हे ज़रूर मगर आज़मा के देखेंगे
चलें हैं राहे-मुहब्बत पे तीरगी है ज़रा
अभी चराग़-ए-दिल हम जला के देखेंगे
सदा उदास वो रहते हैं बोलते ही नहीं
सवाल उनसे करेंगे बिठा के देखेंगे
सभी को ख़ूब दवायें बता वो देते हैं
इलाज उनसे ही अपना करा के देखेंगे
कमी सभी की ही ‘आनन्द’ हैं गिना देते
कभी मिले तो कमी हम गिना के देखेंगे
– डॉ आनन्द किशोर