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28 Sep 2020 · 1 min read

बदरा

बदरा

इंद्र का वर जलद अम्बर करे वास
अवनी की तपती साँसों का उच्छ्वास

समीर यान जंच विचरे व्योम विस्तार
उमड़ घुमड़ गरज बरसाए जलधार

मृदु स्वप्न धरा के फूटे अंकुर बन
हरी हो गई जब बरसे घनन घन

नभ चमक दमक दामिनी का नर्तन
मत्त मयूर नाचे सुन बूंदों की छन छन

कारी घटा अम्बर झुका बरसाए नवजीवन
सराबोर हो गई धरणी हर दिशा हर कण

रेखा

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