चुनाव आ रहे जनाव ( व्यंग )
आ रहे चुनाव
तैयार हो जाओ जनाव
पहनकर नकाव
नेता परोसेंगे दारु और कबाब ।
अधिकारी लेकर पेंशन
लड़ रहे चुनाव
उड़ाएंगे काली कमाई
वोट पाने वे हिसाब ।
योजनाओं की बाढ़ लिए
गरीबी मुक्ति के नारे देंगे
फर्जी सपने दिखाकर
विकास का लालच देंगे ।
धर्म जाति संस्कृति की
दिमागी चोट करेंगे
भाईचारे का खून बहा दें
ऐसा जोश भरेंगे ।
आँखों में देशभक्ति के
घड़ियाली आँसूँ लेकर
पाक चीन को मार गिराएं
बातों की गोली देकर ।
जीतते ही बन जाते
नेता गिद्द और बाज
नोच नोच कर खाते
तुम्हारा हरेक ख्वाब ।
ताले लग जाएंगे
उनके गेट पर
फोन रख जाएंगे
कालिंग वेट पर ।
फिर मानसून का
मेढ़क बनकर टर्राऐंगे
पांच साल शोषण करके
संसद को मंदिर बताएंगे।
ना कोई चौकीदार
ना कोई हवलदार
जो ना इनकी भाषा बोले
वो ही देशद्रोही गद्दार ।
ये तो है मजबूरी
वोट देना है जरूरी
क्या करें जनाव…
देना उसी को वोट
जो नहीं खाता हो नोट
पढ़ा लिखा या अनपढ़
जो समस्या सुलझाये तत्तपर ।