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24 Sep 2020 · 1 min read

माँ पापा

अपने ही बेटों के
बड़े बड़े औऱ…
आलीशान मकानों में
होते हैं बहुत सारे कमरे , हॉल भी बडा सा
कुत्ते के लिए बरामदा
नौकरों के कमरे अलग से ही
बैठक तो बड़ी सी होती ही है पर
खूब सजी धजी दोस्तों के लिए
पर उनमें माँ पापा के लिए कोई कमरा नहीं होता
माँ पिता डाल दिये जाते हैं
आलतू फालतू सामान की तरह
कभी गैराज में खाली पड़ी जगह में
कभी पिछवाड़े वाले टीन शेड में
एक लगभग फेकने लायक पलंग
और जिन्हें भिखारी भी दान में न ले
ऐसे कपड़ों के साथ रख दिया जाता हैं
माँ पिता सोचते हैं …
क्योंकि उम्र के इस पड़ाव में
केवल सोच ही सकते हैं
कि अगर पूर्व दिशा की ओर खुलने वाला
एक छोटा सा कमरा होता
पिछवाड़े बहुत सारी खाली पड़ी जमीन होती
तो वे सूर्यदेव को प्रातः नमन करते
अपने जमाने के सूर्य को याद कर
उनका पहले से ही पीला पड़ा चेहरा
और भी पीला पड़ने लगता है सोच सोच कर
फिर उनके हाथ स्वतः ही अनायास ही
न जाने क्यों यकायक प्रार्थना में जुड़ जाते हैं
कि हे प्रभु ….
मेरे बेटे को उसके बेटे के मकान में
एक कमरा हवादार सा जरूर देना
क्योकि माँ पापा का अपने लिए कुछ नही होता
सोच भी होती हैं अपने बेटे की भलाई के लिए
बेटे का बेटा उसको सम्मान जरूर दे
ये ही अंतिम इच्छा लिए माँ पापा..

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