Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Sep 2020 · 1 min read

जला या बुझा दो वफ़ा कर चले

विदाकर तुम्हें हम दुआ कर चले
तुम्हारे लिये रास्ता कर चले

तुम्हारी हैं ख़ुशियाँ बधाई तुम्हें
लो दामन भी अपना लुटा कर चले

दिया दिल का अपना तुम्हें दे दिया
जला या बुझा दो वफ़ा कर चले

बता दो अगर क़र्ज़ बाक़ी अभी
नज़र में जहाँ की अता कर चले

बताये बिना तो न उठते क़दम
कहीं जो गये हैं बता कर चले

ज़माना कहेगा कभी बाद में
कोई काम ऐसा बड़ा कर चले

न परवा हमें पत्थरों की है अब
सदाक़त को हम आइना कर चले

बुराई तो ‘आनन्द’ मिलनी है तय
मगर हम सभी का भला कर चले

डॉ आनन्द किशोर

Loading...