Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Sep 2020 · 1 min read

सब शिकायतें

सब शिकायतें दूर
-विनोद सिल्ला

एक रोज मेरे विद्यालय में
चल रहा था सफाई अभियान
उठा रहे थे
बिखरे कूड़ा-कर्कट को
मैं और मेरे छात्र
एक छात्र सचिन
कूड़े के ढेर से
उठाकर लाया
जर्दे की खाली पुड़िया
लगा कहने
छुट्टी के बाद हम
भरते हैं इन पुड़ियों को
उसके इस कथन से
पता चला मुझे
शहर के तंबाकू उद्योग का
मैंने पूछा उससे
क्या मिलता है मेहनताना
उसने बताया पचास रुपया
हजार पुड़िया भरने पर
उसकी करूण कहानी सुन
द्रवित हो गया दिल
चू पड़ी आंखे
आज से पहले उससे
थीं असंख्य शिकायतें
लेकिन आज
हो गईं दूर
सब शिकायतें

Loading...