***चल मुसाफिर चलना ! ***
जीवन का यह मेला
राही तू ना अकेला ।
कौन नहीं इस जग में जिसने
नहीं है संकट झेला ।
चल मुसाफिर चलना मंजिल मिले ना वरना।
तुझ में बल है लक्ष्य अटल है
बाधाएं हट जाएगी ।
क्षणिक तेरे अवरोध की धारा।
तेरा क्या कर पाएगी ।
डाल के अपनी नौका इसमें
हाथों से इसको खैना ।
चल मुसाफिर चलना मंजिल मिले ना वरना।
आदर्शों की कमी नहीं है
इतिहास उठाकर पढ़ ले
जिसे श्रेष्ठ तू मान सके
बस उसका साथ पकड़ ले ।
छोड़ निराशा जगा ले आशा ।
अनुनय कुछ तो है करना ।
चल मुसाफिर चलना मंजिल मिले ना वरना ।।
राजेश व्यास अनुनय