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29 Aug 2020 · 1 min read

प्रेम का नशा

प्रेम बन्धु बांधव नहीं
जिसका अवसान हो जाय
प्रेम कोई नदी तालाब नहीं जो सूख जाय
पानी विषाक्त हो जाय
प्रेम एक एहसास है
प्रेम एक नशा है
प्रेमी वो नशेड़ी होते है
जिनका नशा ही सांस के
बन्द होने से उतरता है
प्रेम का नशा
प्रातः के किरण से नहीं उतरा
प्रेम का नशा जीवन के अवसान में उतरता है…
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 874 Views
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