Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Aug 2020 · 1 min read

हम हैं बेटियाँ

हम बेटियों को श्राप है क्या?
खुलकर हँसना पाप है क्या?
बेटियों पर ही बंदिशें है क्यों?
बेटों को मुक्त आकाश है क्यों?

हमें लड़की होने का एहसास कराया जाता है।
पायल की रुनझुन से पांव में बेड़ी डाला जाता।
मांग में सिंदूर डालते ही पराया धन बन जाता है।
हमारी स्वतंत्रता को दुनियादारी में जकड़ा जाता है।

कभी उलाहना कभी प्रताड़ना हमें सुनाया जाता है ।
कभी कभी तो दहेज के लिए हमें जलाया जाता है।
जन्म से ही क्यों लड़की को गुलाम बनाया जाता है।
ऐसा वैसा मत करो लड़को से डरो समझाया जाता है।

जोर से मत हँसो, मन का मत बोलो, ऐसे ही बैठो।
सलीके से रहो, पराये घर जाना है, लोग क्या कहेंगे।
पहले ऐसा सोचो कि आना चाहिए करना हर काम।
सबकी सुनना,कुछ मत कहना तब होगा कुल का नाम ।

कब तक लड़कियों को पराया धन कहलाएगी।
क्या कभी लड़की भी स्वछंद उड़ान भर पाएगी।
क्या ऐसा भी कल आएगा जब लड़की होने पर,
हसीं खुशी से में घी के लड्डू घर घर बांटा जाएगा।
◆◆◆
©® सर्वाधिकार सुरक्षित
रवि शंकर साह
रिखिया रोड़, बलसारा, बैद्यनाथ धाम
देवघर, झारखंड पिन कोड-814113

Loading...