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20 Aug 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

आपदाओं को हम भी अवसर में ढाल रहें हैं
इसलिए तो पर्मानेन्ट हल,नहीं निकाल रहें हैं।
आपदाएं ही तो हमारी आमदनी का जरिया है
राहत की राशि अपनी तिजोरियों में डाल रहें हैं ।
हमे तो रहता है इन्तजार आपदाओं का हमेशा
टिका कर सियासत इन पर सालों साल रहे हैं।
जी हाँ नेतागीरी हमारी चमकी है इनके दम पर
वर्षो मददगार बाढ़,सुखाड़ और अकाल रहे हैं ।
फ़िर आगए तुम अजय रोना रोने सच्चाई का
कहा तो है दो चार रोटियाँ तुम्हें भी डाल रहे हैं।
-अजय प्रसाद

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