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12 Aug 2020 · 1 min read

अयोध्या का राम मंदिर

लड़ाई थी बहुत लंबी मगर ये जीत पायी है
प्रतीक्षित थी जो बरसों से घड़ी नजदीक आयी है

पिता थे जो जगत भर के रहे वो टेंट के अंदर
बड़ा वनवास था लंबा मगर है पूर्ण होने पर
खुशी में दीपमाला से अवधनगरी सजायी है
प्रतीक्षित थी जो बरसों से घड़ी नजदीक आयी है

विराजेंगे सिया संग राम अब अपने सिंहासन पर
करेंगे दर्श अब उनके नयन में रूप भर भर कर
जो मूरत राम की हमने सदा दिल में सजायी है
प्रतीक्षित थी जो बरसों से घड़ी नजदीक आयी है

अयोध्या राम की थी राम की ही बस रहेगी ये
नदी सरयू किनारे राम की बनकर बसेगी ये
बनाकर राम का मंदिर अयोध्या मुस्कुरायी है
प्रतीक्षित थी जो बरसों से घड़ी नजदीक आयी है

रहेगी गूँजती धुन राम चलती हवाओं में
घुलेगी राम के ही नाम की खुशबू फिजाओं में
विहग भी चहचहाये हैं प्रकृति खिलखिलायी है
प्रतीक्षित थी जो बरसों से घड़ी नजदीक आयी है

12-08-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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