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11 Aug 2020 · 1 min read

प्रीति रीति देख कर

घनाक्षरी
प्रीति रीति देखकर,मीत मीत देखकर,
नैन नक्श देखकर, पीड़ा सह लीजिये।
सावन में प्रीत कर,पावन संगीत भर,
प्रीतम की पाती पढ, लिख व्यथा दीजिये।
लिख -लिख अभिलाषा, सब की हो मृदु भाषा
जीने की भी रहे आशा, प्रेम रस पीजिये ।
अँखियों से अँखियों में, झाँकता हूँ पंखियों से,
मनमीत सखियों से,चोरी मत कीजिये।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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