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11 Aug 2020 · 1 min read

एक गोपी की पुकार

#हाकलि_छंद

श्याम भवन मेरे आओ।
मन मेरा भी हर्षाओ।
कभी न मैं रूप बिसारूँ।
हरदम ही राह निहारूँ।

आँखों में नींद नहीं है।
ना दिल को चैन कहीं है।
सपनों में तो आते हो।
सारी रैन सताते हो।

सुध-बुध सबकुछ खोयी हूँ।
निशिदिन ही मैं रोयी हूँ।
बोलो कब तुम आओगे।
दिल की प्यास बुझाओगे।

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