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9 Aug 2020 · 3 min read

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटेन से, भारत आई थी
सम्राट जहांगीर के शाही फरमान से
व्यापार की अनुमति पाई थी
व्यापार के बहाने उसने अपनी धाक जमाई थी
राजा और नवाबों का युग था, नहीं कोई अगुवाई थी
राजा और नवाबों को, अंग्रेजों ने लड़वाया था
फूट डालो और राज करो, यही मंत्र अपनाया था
आपस में लडबाकर, एक एक राज्य कर पूरा भारत कबजाया था
अंग्रेजों का दमन चक्र, सारे देश में चलता था
लूट लिए धन रत्न कीमती, अंग्रेजों का चाबुक चलता था
लूट रहे थे भारत को, अन्याय ना उनका रूकता था
अंग्रेजों के विरुद्ध पहला, सेना में विद्रोह हुआ
धन सिंह गुर्जर मंगल पांडे ने, इसका नेतृत्व किया
इसी एक चिंगारी को वीरों ने, सुलगाया था
स, 18 सो 57 में आजादी का पहला बुगल बजाया था
मेरठ से सुलगी यह चिंगारी, कानपुर लखनऊ झांसी ग्वालियर तक जा पहुंची थी
अंग्रेजों से मुक्ती की बनी एक योजना थी
नाना साहेब तात्या टोपे रानी लक्ष्मीबाई लड़ी
धन सिंह गुर्जर मंगल पांडे और दुगवा नरेश लड़े
अवध के अपदस्थ नवाब बेगम हजरत महल लड़ीं
बहादुर शाह आक्रोशित जनता और सिपाही कूद पड़े
दयानंद से सन्यासी भी उस लड़ाई में कूद पड़े
अंग्रेजों को सबक सिखाने गांव के गांव टूट पड़े
संसाधन की कमी थी और समन्वय ना हो पाया था
अंग्रेजों ने उस लड़ाई को हथियारों के बल पर जीता और दबाया था
असंख्य वीरों ने उसमें अपना सर्वस्व लुटाया था
आजादी का सपना उन वीरों का पूरा ना हो पाया था
लुटता रहा देश अत्याचार न कम हो पाया था
सन 1915 में गांधीजी अफ्रीका से आए थे
रंग भेद आंदोलन से और निखर कर आए थे
तिलक गोखले नेहरू पटेल और बोस भी छाए थे
भारत भ्रमण किया गांधी ने देश के कुछ हालात लिए
मातृभूमि के लिए समर्पित अपने नव उदगार दिए
सन 1919 में जलियांवाला कांड हुआ
अंग्रेजो के खिलाफ देश में चरमोत्कर्ष हुआ
सन 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन का ऐलान किया
जेल हो गई सब नेताओं को जनता पर लाठी से प्रहार हुआ
शक्ति से अंग्रेजों ने दबाया ,नहीं कोई परिणाम हुआ
अंग्रेजों के दमन के आगे अहिंसा से असहमति हुई
कॉन्ग्रेस बंट गई धडों में गरम नरम दलों में परिणीति हुई
सुभाष चंद्र ने आगे चलकर आजाद हिंद फौज का गठन किया
विदेशों के सहयोग से अंतरिम सरकार का गठन किया
चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह बिस्मिल ने अपना काम किया
क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों का जीना दुश्वार किया
अपने अपने हिसाब से नरम गरम दल दोनों लगे रहे
हंसते हंसते चढ़े फांसियां आजादी को लगे रहे
सन 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन हुआ
दांडी मार्च किया बापू ने कानून नमक का तोड़ दिया
डाले गए जेल में बापू, सारे नेताओं को डाल दिया
नेतृत्व विहीन हुआ आंदोलन इसका भी ना मिला सिला
9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन ऐलान हुआ
मेहर अली दे दिया था नारा सबके दिल को खूब छुआ
सड़कों पर आक्रोश युवा का, नेता जेल गए सारे
लाल बहादुर शास्त्री ने करो या मरो के नारे दे डारे
देशभर में आंदोलन तेज हुआ कई जगह समानांतर सरकार बनी
घबराई अंग्रेज हुकूमत आंदोलनकारियों से संधि करी
1943 में सुभाष ने समानांतर सरकार बनाई थी
घबराए अंग्रेजों ने, आजादी विश्व युद्ध के बाद देने की बात बताई थी
सन 1945 युद्ध समाप्त हुआ
मुस्लिम लीग उभर आई थी, अंग्रेजों का साथ मिला
दोराष्ट्रीय फार्मूले का भारत को मिला सिला
14 अगस्त को पाकिस्तान का उदय हुआ
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ
नरम और गरम दल के प्रयासों से, भारत मां ने आजादी पाई थी
असंख्य वीरों ने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी
बड़ी अनमोल है ये आज़ादी, इसमें सौ बरस लगाए थे
कई नाम हैं,कई अनाम हैं,जिनने शीश चढ़ाए थे
जय हिंद

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
9 Likes · 6 Comments · 693 Views
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