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2 Aug 2020 · 1 min read

दुख

दुख में हो … तो वहीं बने रहो
खुशियों की उम्र लंबी नहीं होती
~ सिद्धार्थ
बांझ दरखतों पर फूल नहीं खिलते
रेगिस्तानों में मोती झील नहीं मिलते

उफ़ुक़ पे जो दिखता है वस्ल ए निशाँ
असल में गगन ज़मीं से तो नहीं मिलते
~ सिद्धार्थ

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