Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2020 · 1 min read

धौंस

पहले धौंस की अपनी
एक सड़क हुआ करती थी,

जो विदेशों से निकल कर
महानगरों मे पहुँच कर
नगरों, शहरों, कस्बों
से होती हुई
खीझती हुई
गांवों के पक्के मकानों
के बीच गुजरती ,
फिर गलियों मे
भुनभुनाती हुई
घुसकर,
पगडंडियों की ओर मुड़कर
कहीं दूर निकल जाती थी

ये सिलसिला दशकों तक चला,

फरमान,समझदारी, सलीका और न जाने
क्या क्या,
इसी रास्ते से
गुजरकर,
कई अरसे के
बाद ,
पगडंडियों तक आते थे

देहातों को गांवो का
शहरों को नगरों का
महानगरों को विदेशों का
बड़बोलापन भी,
दासता की तरह मंजूर रहा।

कमबख्त ये टेलीविज़न
और मोबाइल बाजारू और
निर्लज़्ज़ हो गए।
और सीधे पगडंडियों तक
पहुंच कर बैठ गए।

बिचौलियों के
जाते ही
सालों का
बोझिल सफ़र
मिनटों मे तय होने लगा।

धौंस अब बुढ़ी सी
लाठी टेकती हुई अपनी
टूटी फूटी सड़क पर
दिखती तो है।

बस इस नकचढ़ी बुढ़िया को
अब कोई ज्यादा भाव नही देता।

Language: Hindi
4 Likes · 7 Comments · 522 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Umesh Kumar Sharma
View all

You may also like these posts

तबाही की दहलीज पर खड़े हैं, मत पूछो ये मंजर क्या है
तबाही की दहलीज पर खड़े हैं, मत पूछो ये मंजर क्या है
पूर्वार्थ
नए अल्फाज
नए अल्फाज
Akash RC Sharma
Hello88 là nhà cái casino online nổi bật trên thị trường Với
Hello88 là nhà cái casino online nổi bật trên thị trường Với
Hello88
एक दीप प्रेम का
एक दीप प्रेम का
Mamta Rani
🙅आज का विज्ञापन🙅
🙅आज का विज्ञापन🙅
*प्रणय प्रभात*
एम० के० साहित्य अकादमी पंचकूला- डॉ० प्रतिभा 'माही'
एम० के० साहित्य अकादमी पंचकूला- डॉ० प्रतिभा 'माही'
Dr. Pratibha Mahi
कविता एक गलतफहमी
कविता एक गलतफहमी
Shivam Rajput
नियोजित अभिवृद्धि
नियोजित अभिवृद्धि
Khajan Singh Nain
खुद को भी अपना कुछ
खुद को भी अपना कुछ
Dr fauzia Naseem shad
गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार,
गुलाल का रंग, गुब्बारों की मार,
Ranjeet kumar patre
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
शेखर सिंह
ज़िम्मेदारियों ने तन्हा कर दिया अपनों से,
ज़िम्मेदारियों ने तन्हा कर दिया अपनों से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शीर्षक - अपने स्वार्थ
शीर्षक - अपने स्वार्थ
Neeraj Kumar Agarwal
ज्ञान, चरित्र, संस्कार का धाम - सरस्वती शिशु मंदिर
ज्ञान, चरित्र, संस्कार का धाम - सरस्वती शिशु मंदिर
आलोक पांडेय
जिनकी सच्ची सोच हो,सरल-सरस व्यवहार
जिनकी सच्ची सोच हो,सरल-सरस व्यवहार
RAMESH SHARMA
" मुस्कुराहट "
Dr. Kishan tandon kranti
"प्रकृति गीत"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
3365.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3365.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
हमारा हर दिन विजय दशहरा हो
हमारा हर दिन विजय दशहरा हो
Yamini Jha
शिक्षा अर्थ रह गई
शिक्षा अर्थ रह गई
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
Ajit Kumar "Karn"
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
Devkinandan Saini
जय श्री गणेशा
जय श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
Kanchan Khanna
लोक गायन के लोकपुरुष : डॉ. राकेश श्रीवास्तव
लोक गायन के लोकपुरुष : डॉ. राकेश श्रीवास्तव
The World News
किसान की संवेदना
किसान की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
देखो ना आया तेरा लाल
देखो ना आया तेरा लाल
Basant Bhagawan Roy
ज़िन्दगी बंदगी में जाएगी
ज़िन्दगी बंदगी में जाएगी
Shivkumar Bilagrami
Loading...