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28 Jul 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

अच्छी सोंच को पनपने नहीं देंगे
जुगनुओं को वो चमकने नहीं देंगे ।

पिलाएंगे जाम मद भरी नजरों से
सितम ये है कि बहकने नहीं देंगे ।

घायल तो करेंगे तिरछी नजर से
मगर खुलकर वो तड़पने नहीं देंगे ।

सारी चालें तुम्हारी उल्टी ही पड़ेंगी
पाशे खेल के तुम्हे पलटने नहीं देंगें ।

लाख कर लो कोशिश तुम अजय
तुम्हारी गज़लों को छपने नहीं देंगे ।
-अजय प्रसाद

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