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21 Jul 2020 · 1 min read

शब्दबाण से परेशान

******* शब्दबाण से परेशान *******
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शब्दबाण करते परेशान , तड़फते रहे
तनिक तन में रही नहीं जान,तड़फते रहे

तीखे तीखे तीर तन – मन चीरते रहते
दिल के अंदर तक हैं निशान,तड़फते रहे

लोगों के क्या कहने कहने से डरते नहीं
बन जाते कह कर नादान ,तड़फते रहे

अमूमन है वो समझते कुछ माजरा नहीं
लेते वापिस नही हैं संज्ञान, तड़फते रहे

जुबान से निकले तीर तरकश आते नहीं
रहता वहीं का वहीं कमान,तड़फते रहे

फिसलती जाए जुबान काबू में न रहती
मचाती है खूब घमासान, तड़फते रहे

बोलने से पहले जरा सा सोचते नहीं
बात पहुंच जाए आसमान, तड़फते रहे

सुखविंद्र बुरे अंजाम छोटी बातों के
ला दें जिन्दगी में तूफान, तड़फते रहे
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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