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20 Jul 2020 · 1 min read

पैग़ाम -ऐ - इज़हार

आज उस दोस्त को पैगाम -ऐ -इज़हार भेजता हूँ,
दोस्त है वो मेरी, ये सोच कर…
उसकी हर बात का इक़रार करता हूँ.. !!

जी करता है चूम लूँ उसे, पर उसकी नाराज़गी से…
तौबा हर बार करता हूँ… !!

उसके पास मेरी दोस्ती की ढेरो शिकायतें रहती है,
फिर भी नज़रअंदाज़ उसे…
मैं हर बार करता हूँ… !!

जानता हूँ कि वो सहम सी जाती है,
कि जब भी उसके सामने….
मैं किसी लड़की को यार कहता हूँ… !!

मुझे नहीं पता क्या दिल में है उसके,
पर सच्ची -सच्ची कहता हूँ…
उसी से मैं सच्चा वाला प्यार करता हूँ… !!

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