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5 Jul 2020 · 2 min read

दिली इच्छा

मैं फिर आना चाहूँगी
अम्माँ कि डाँट खाने
बाबू का प्यार पाने
मैं फिर ……….
रसोईं में अम्माँ का आँचल थामने
उनके स्वाद को अपने हाथों में उतारने
मैं फिर ……….
अम्माँ को सताकर फिर से मनाने
नींद से जग कर उनके पैर दबाने
मैं फिर ……….
बहनों के साथ रहने
भाई को साथ रखने
मैं फिर ……….
दोस्तों को प्यार देने
उनका प्यार लेने
मैं फिर ……….
दोस्तों से खेलने गुलाल
दोस्ती की देने मिसाल
मैं फिर ……….
अपने बच्चों कि माँ बनने
उनके मुँह से फिर माँ सुनने
मैं फिर ……….
अपनी बेटी की दोस्त बनने
उसकी उम्मिदों पे पूरा उतरने
मैं फिर ……….
अपने बेटे को भावुकता से बचाने
समाज के हर पहलू को दिखाने
मैं फिर ……….
पति को प्रेमी बनाने
उसकी हर शंका को मिटाने
मैं फिर ……….
अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने
तमन्नाओं को जी भर के जीने
मैं फिर ……….
सज्जनों के साथ रहने
दुर्जनों के पास से भी बचने
मैं फिर ……….
अपनी खूबियों को सवाँरने
कला को जी भर के निखारने
मैं फिर ……….
अपनी खरी – खरी बोली बोलने
सबके सच – झूठ को तराज़ू पर तौलने
मैं फिर ……….
अपनी गल्तियों को सुधारने
दूसरों कि गल्तियों को नकारने
मैं फिर ………
झूठें रिश्तों से बचने
सच्चे रिश्तों में जीने
मैं फिर ……….
अपने अपनों को मनाने
अपने दुश्मनों को सताने
मैं फिर ……….
अपने इसी मस्त अंदाज़ में जीने
फिर से धड़काने लोगों के सीने
मैं फिर ……….
घूरती आँखों को झुकाने
ऐसों को और भी सताने
मैं फिर ……….
इसी दबंगईयत से जीने
डर से बहाने लोगों के पसीने
मैं फिर ……….
व्यंग बाणों पे हंसने
कसे तानों से बचने
मैं फिर ……….
राम को शब्दों में ढालने
कृष्ण को आचरण में उतारने
मैं फिर ……….
अधूरी भक्ति को करने
नारायण में पूर्ण रूप से रमने
मैं फिर ……….
प्यार कि हर बूँद को पीने
थोड़ा सा खुद के लिए भी जीने !!!

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 16/09/13 )

Language: Hindi
2 Likes · 6 Comments · 336 Views
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