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27 Jun 2020 · 1 min read

यूं ना तुम

यूं ना तुम, रूठ कर बैठ जाया करो ।
जो भी मन की व्यथा हो बतलाया करो ।।

ख़ामोश बैठ तुम खुद को इतना क्यों कोसती हो ।
जो भी हो शर्म तोड़ कर बोल दिया करो ।।

माना नादान हूँ मैं, नहीं समझ आता मुझे ।
तुम तो समझदार हो , इतना मत उलझाया करो ।।

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