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27 Jun 2020 · 1 min read

दर्द अब थम नही रहा

दर्द सहने का अब दम नही रहा
और यह दर्द है कि थम नही रहा

इतने सारे ग़म जो एक साथ मिले
किसी बात का अब ग़म नही रहा

मैं सारे इल्ज़ाम उस पे क्यूँ लगा दूँ
क़ुसूर मेरा भी कुछ कम नही रहा

हवाएँ ख़िलाफ़त की चलने लगीं ‘अर्श’
अब तो मिलने का मौसम नही रहा

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