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26 Jun 2020 · 1 min read

मुक्तक

मंजिल भी अपनी है मिल ही जायेगी
कोशिश करेंगे तो हांसिल हो ही जायेगी
रात के बाद सवेरा तो आना लाजमी ही है
फिर सोचने के बाद कैसे न मजिल मिल जायेगी

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
378 Views
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