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21 Jun 2020 · 1 min read

मेरे पिता..

मुँह को निवाला और घर को छत देते हो
मेरे पिता… तुम हम पर जीवन वार देते हो।

मेरे जीवन, मेरे सपने, मेरी उम्मीद और आस हो
पग-पग पर जीवन संवारने का प्रयास हो,
गुस्सा, डांट-डपट और प्रेम में सन्तुलन!
ये सब कैसे कर लेते हो?
मुँह को…….

अपने आज को बलिदान कर मुझे कल दिया है
मेरे लिये तुमने अपना जीवन बदल दिया है,
शौक, स्वाद पसन्द को चुपचाप कुचल दिया है,
अपनी विवशताओं को हँस कर टाल देते हो।
मुँह को…

दिन भर दौड़ भाग कर कितने थक जाते हो
पर अपने दर्द छुपाकर सहज मुस्कराते हो,
हमारे बिगड़ते मूड को आसानी से समझ जाते हो,
फिर झोले से निकालकर फरमाइशें सजा देते हो।
मुँह को…

सफेद बाल हमारी जिद पे रंग लेते हो
पुराने वस्त्र फिर सिल के पहन लेते हो,
सह लेते हो हर गम हमें खुश देखने को
इतने अबरोध हैं मग में फिर भी बह लेते हो।
मुँह को…

रोजगार से जुड़ी हर खबर ढूंढ कर रख लेते हो
कैसे क्या करना है सब लिख कर रख लेते हो,
हाँ ..कभी-कभी गुस्से में डांट डपट देते हो
पर अगले ही पल धीरे से प्यार जता देते हो।

मुँह को निवाला और घर को छत देते हो
मेरे पिता…तुम हम पर जीवन वार देते हो।

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 660 Views
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