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20 Jun 2020 · 1 min read

ज़िक्र जिसका मिरे आशियाने पे...

ज़िक्र जिसका हर घड़ी मिरे आशियाने पे,
उसी को तरस नहीं आता इस दीवाने पे ।।

दीवाने की धड़कन से वाकिफ़ नहीं है तू,
क्या हालत होती है इक तिरे रूठ जाने पे ।।

#हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️

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