Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Jun 2020 · 1 min read

महामंजीर सवैया

महामंजीर सवैया-
मापनी – सगण×8+ लघु गुरु
(1)

नित सैनिक मार रहे अपने
सरकार नहीं उनको सहलाइए।
जग में पहचान रहे अतएव
सुनो डरपोक नहीं कहलाइए।
चुपचाप सभी बदला अब लो
यह वीर धरा सबको बतलाइए।
दिल चाह रहा कुछ तो करिए
मत बोल सुना मन को बहलाइए।।

श्रम सीकर पावन मस्तक चंदन बात सदा यह हैं सब जानते।
करता नित जो श्रम है जग में मजदूर यहाँ उसको सब मानते।
हर किस्मत तो श्रम से बदले यह आस नहीं प्रभु के वरदान ते।
प्रतिदान मिले नहिं मान मिले श्रम साधक के सब दोष बखानते।

डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Loading...