Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jun 2020 · 1 min read

सुमुखी सवैया

सुमुखी सवैया (जगण×7+ लघु गुरु)
पयोधर पीन दिखा त्रिबली ,हर अंग अनंग जगावति है।
चले गजगामिनि-सी सजनी,कटि केहरि- सी लचकावति है।
न आवति पास लटें झटके ,बस बातनि सों भरमावति है।
कहौं केहि भाँति बिथा अपनी,निंदिया अब रैन न आवति है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
1 Comment · 328 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"पति" के सिर पर इज्जत की पगड़ी सिर्फ वही " औरत" पहना सकती है
Ranjeet kumar patre
रुख के दुख
रुख के दुख
Santosh kumar Miri
किताब कहीं खो गया
किताब कहीं खो गया
Shweta Soni
पहाड़ की पगडंडी
पहाड़ की पगडंडी
सुशील भारती
सलीके से हवा बहती अगर
सलीके से हवा बहती अगर
Nitu Sah
कब बरसोगे बदरा
कब बरसोगे बदरा
Slok maurya "umang"
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
Rj Anand Prajapati
😢कमाल की सिद्ध-वाणी😢
😢कमाल की सिद्ध-वाणी😢
*प्रणय प्रभात*
वंदे मातरम
वंदे मातरम
Deepesh Dwivedi
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
तत्वहीन जीवन
तत्वहीन जीवन
Shyam Sundar Subramanian
रंगीला बचपन
रंगीला बचपन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
थोड़ा हल्के में
थोड़ा हल्के में
Shekhar Deshmukh
रंगों की बौछार
रंगों की बौछार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" मनुष्य "
Dr. Kishan tandon kranti
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
One day I'm gonna sit down and congratulate myself, smile, a
One day I'm gonna sit down and congratulate myself, smile, a
पूर्वार्थ
Don't Give Up..
Don't Give Up..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बेवफा आदमी,बेवफा जिंदगी
बेवफा आदमी,बेवफा जिंदगी
Surinder blackpen
चकाचौंध की दुनियां से सदा डर लगता है मुझे,
चकाचौंध की दुनियां से सदा डर लगता है मुझे,
Ajit Kumar "Karn"
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए।
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए।
Kumar Kalhans
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
संघर्ष (एक युद्ध)
संघर्ष (एक युद्ध)
Vivek saswat Shukla
अब चुप रहतेहै
अब चुप रहतेहै
Seema gupta,Alwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
3107.*पूर्णिका*
3107.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चाहतें देख कर लगता था कि बिछड़ना ही नही
चाहतें देख कर लगता था कि बिछड़ना ही नही
इशरत हिदायत ख़ान
बंद कमरे में
बंद कमरे में
Chitra Bisht
Loading...