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11 Jun 2020 · 1 min read

रुपान्तरण

जीवन की संचित ऊर्जा
अपने सूक्ष्मतम रूप में
अणु से परमाणु तक
क्रोध से प्रेम तक
खाद से पुष्प तक
कण से पर्वत तक
नित्य परिवर्तित हो रही है,
रूपांतरित हो रही है
और आज का मानव
मशीन से इतर
तकनीकी से अलग
किसी भी परिवर्तन को
स्वीकार नही करता…
सहजता से
क्यों?

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