Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
9 Jun 2020 · 1 min read

नजरें चुराने लगे

*******नजरें चुराने लगे*******
**************************
देख कर मुझे वो. नजर चुराने लगे
है कोई बात दिल में छुपाने लगे

प्रेम की शुरुआत नजरों से ही थी
उन्हीं नजरों से मुझे कतराने लगे

दिखाई. देता अब कोई फिक्र नहीं
बातो हीं बातों में बहकाने लगे

गिले,शिकवे,शिकायतें हैं जिक्र नहीं
खामख्वाह यूँ ही बात बनाने लगे

दल बदल की प्रवृत्ति दिखने लगी
तोहमत हम पर ही वो लगाने लगे

चालाकियों में हम सदा फंसते गए
भोलेपन का फायदा उठाने लगे

सितमगर सितम यूँ ही थे ढाते रहे
सुखविन्द्र बहाने हमें बताने लगे
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली ( कैथल)

Loading...